बंद दरवाजे
बंद दरवाजे
ये कहकर बंद कर लिया दरवाजा उसने
तुम हो पराए सदा से, नहीं हो मेरे तुम अपने
नहीं जाना कि क्या रंग बेदिली मुझको दिखाएगी
नहीं सोचा कभी के बेरुखी गजब कैसा ये ढाएगी।
उसको आता नही तरस औरों की हालत पर
खुद के गम में खुशी ढूंढे क्या कहें उसकी बाबत बस
हाथ में खंजर लिए वो घूमता हर वक्त
उसे तो शौक इतना है जख्म ताजा मिलें हरदम।
सुकूं मिल सके उसको ये दुआ लब पे आती है
उसे मालूम भी क्या है किसी की जान जाती है
और एक बात जो उसको समझ अब भी न आती है
बंद कर लो दरवाजे दिलों के कस के जितने भी
झिर्रियां फिर भी बाकी हैं यादों के झोंके आने को।।
आभार – नवीन पहल – १०.०२.२०२३ 💓💓💓💓
# प्रतियोगिता हेतु
Mahendra Bhatt
12-Feb-2023 11:56 AM
शानदार
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sunanda
11-Feb-2023 11:54 AM
nice
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Punam verma
11-Feb-2023 09:00 AM
Very nice
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